कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥-
इस श्लोक में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि सिर्फ कर्म पर तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फल पर तुम्हारा अधिकार नहीं है। इसीलिए कर्म के फल की चिंता किसी को नहीं करनी चाहिए। इस श्लोक में कर्म का महत्व बताया गया है। हमें सिर्फ कर्म पर ध्यान देना चाहिए। यानि पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम करें और गलत कामों से बचें। श्री कृष्ण जी के इन्ही उपदेशों की पालना करते हुए श्री बालाजी वृद्धजन आवास गृह मे श्री कृष्ण जन्माष्ठमी महोत्सव धूमधाम से मनाते हुए आश्रम परिवार के सदस्य ।